Pratibha dube

Add To collaction

मोबाइल का मायाजाल




लघु कथा/ प्रतियोगिता हेतु
मोबाइल का मायाजाल 
11/02/2022

यह एक ऐसी प्रेम कथा है, जिसमें प्रेम तो है परंतु किसी खास कारण से इस कथा में प्रेमियों का मिलन नहीं क्योंकि जहां आकर्षण नहीं वहां कहीं न कहीं प्रेम की भी कमी रहती ही है, और यह आकर्षण जरूरी नहीं की आपकी सुंदरता का हो परंतु आपके आत्मिक रिश्तो में व्यवहारिक बातों का होना चाहिए प्रेम के लिए दिल जरूर मिलने चाहिए ! आप सामने वाले की बातों से इतने प्रभावित होते हैं कि वही आपका आकर्षण का केंद्र बन जाता है।
यह बात वर्तमान दौर की है! सुनंदिनी एक बहुत ही अच्छी और व्यवहार कुशल लड़की थी परंतु वह शक्ल सूरत से बस ठीक-ठाक थी उसके आभा मंडल में आकर्षण जैसा कोई बात नहीं थी, और उसके कद काठी भी इतनी खास नहीं थी कि कोई आकर्षित हो उसे देखकर कहीं ना कहीं इस कारण से वह दुखी थी और यही एक बहुत बड़ा कारण भी उसकी शादी न होने का बनता जा रहा था। रिश्ते आते तो थे परंतु लौट जाती थे वह बहुत दुखी थी।
अपना मन लगाने के लिए उसने हमेशा अपनी पढ़ाई पर ही फोकस किया और इसी कारण वह एक अच्छे कॉलेज में एक्टिविटी टीचर के रूप में जॉब प्राप्त करने में सफल हुई।
संग साथी सभी एक दूसरे से बहुत अच्छी तरह बात किया करते थे , सबका कहीं न कहीं एक दूसरे के साथ संपर्क था पर सुनंदिनी कहीं ना कहीं अकेली थी! वह अकेले में जब भी फ्री होती तो अपनी तस्वीरें लिया करती थी और उन तस्वीरों को तरह तरह से एडिट करके फोटोशॉप की मदद से , सभी जगह प्रकाशित करती थी । चूकी आधुनिक होने के कारण उसका अकाउंट हर सोशल साइट पर खुला हुआ था ।
सुनंदिनी का एक रूप यह भी था कि वह एफबी और इंस्टाग्राम बहुत चलाया करती थी। और अपनी पिक पर काफी अच्छे कमेंट बटोरा करती थी,  यह कमेंट उसे आंतरिक खुशी देते थे।
                 उसे पता ही नहीं चला कि उसने सोशल साइट पर अपनी एक छवि बना ली थी ! सुंदर और आकर्षक महिला की । वह मोबाइल के द्वारा ली गई तस्वीरों को सोशल साइड पर  पोस्ट किया करती थी, और फिर धीरे धीरे मोबाइल के इस मायाजाल की आदि बन गई । परंतु एक दिन जब यह बात उसके पड़ोस में रहने पड़ोसी लड़के " विवेक "  को पता चली, तो उस पर रहा नहीं गया वह यकायक अपने मन की बात उससे बोल बैठा, कि मैं तो तुमसे बहुत प्रेम करता था!  परंतु तुम सोशल साइट पर अपने इस प्रकार के व्यवहार और अपनी सुंदरता का झूठा दिखावा जो कर रही हो मैं उससे संतुष्ट नहीं हूं!  कहीं ना कहीं मैं समझता था कि तुम में सुंदरता की कमी है परंतु तुम्हारा चरित्र और तुम्हारी बातें बहुत कुछ ऐसा है जो एक सज्जन महिला में होना जरूरी है और तुम बहुत ही अच्छी पत्नी बन सकती हो ! परंतु तुम्हारे इस कृत्य ने मेरा मन को बहुत ही दुखी किया है।
मात्र कुछ तारीफ बटोरने के लिए तुम अपने व्यक्तित्व को इस प्रकार ढकोगी वह मुझे पसंद नहीं आया । तुम जो हो ,जैसी हो बहुत ही सुंदर हो यदि कभी तुम ध्यान देती तो तुम्हें समझ आता कि तुम्हारे आसपास रहने वाले लोग तुम से अधिक तुम्हारी बातों और तुम्हारे व्यवहार से ही तुमसे संतुष्ट रहते हैं।
          विवेक ने अपनी बातों से स्पष्ट रूप से कहा:::: ;;;;;;;;;
 मैंने अपनी प्रेम का तुमसे कभी इजहार नहीं किया परंतु मैं तुमसे प्रेम करता हूं, और मैं इससे इनकार भी नहीं करता! 
हां तुम्हारी पवित्रता देखकर कहीं ना कहीं हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था तुमसे यह कहने की कि तुम जैसी भी हो मुझे पसंद हो।
परंतु तुम्हारी वास्तविकता से दूर तुमने जो झूठा चरित्र बना रखा है , सोशल मीडिया पर मैं उसे बिल्कुल पसंद नहीं करता और शायद इसी कारण अब वह प्रेम की बात नहीं पर हां मैं तुम्हारी अंदर जो धनी व्यक्तित्व की महिला है उसे बहुत सम्मान की दृष्टि से देखता हूं और मेरे लिए यही सच्चा प्रेम है।
सुनंदिनी को समझ में आ गया था की लालायित होकर प्रशंसा पाने के लिए मैंने जो मोबाइल से मायाजाल बना रखा है कहीं ना कहीं उसके कारण ही मैंने एक सच्चा जीवन साथी मिलने से पहिले ही खो दिया । अब उसे स्पष्ट रूप से समझ में आने लगा था कि यदि सुंदरता ही सब कुछ है तो कहीं ना कहीं आपका व्यवहार भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसीलिए मोबाइल की झूठी दुनिया को छोड़कर अपने व्यक्तित्व और अपने व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि जिस जिसका दिल साफ होता है उसके चेहरे की चमक हमेशा बरकरार रहती है।

लेखक का नाम 
प्रतिभा दुबे ( स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश ग्वालियर

   4
2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

12-Feb-2022 03:52 PM

बहुत खूबसूरत

Reply

Abhinav ji

11-Feb-2022 11:31 PM

Nice

Reply